Monday, 20 February 2012

वक़्त

वक़्त


शिकायत होती है ये वक़्त से अकसर,
बड़ा तेज  भागता हैं,
संग-संग अपने
 हमे भी अपने पीछे भगाता है,


एक पल में कभी कितना आगे निकल जाता 
थोडा जो ठहर गये हम,बड़ा दूर नजर आता
कभी जैसे वर्ष भी क्षण में बीत जाता
कभी एक क्षण भी गुजरने में वर्षों लगाता 


वक़्त से आगे निकलने की कोशिश में,
कभी वक़्त के साथ-साथ चलने की कोशिश में,
हम आगे निकल जाते  हैं ,कुछ खास पीछे छुट जाता है,
और वक़्त जाने कहाँ किस मोड़ पर रुक जाता हैं .


साथ हो वक़्त अपने, इस ख्वाहिश में,
साथ कभी अपनों का छुट जाता है
आँखों से बोझल  हो गये जो ,
क्या फिर कभी वक़्त उनको लौटा पाटा है?


हर क्षण में वक़्त यूँ  हीं बीता जाता है
खुद बदलता और हमे बदलता जाता है.


~deeps