Sunday, 13 May 2012
Monday, 20 February 2012
वक़्त
वक़्त
शिकायत होती है ये वक़्त से अकसर,
बड़ा तेज भागता हैं,
संग-संग अपने
हमे भी अपने पीछे भगाता है,
एक पल में कभी कितना आगे निकल जाता
थोडा जो ठहर गये हम,बड़ा दूर नजर आता
कभी जैसे वर्ष भी क्षण में बीत जाता
कभी एक क्षण भी गुजरने में वर्षों लगाता
वक़्त से आगे निकलने की कोशिश में,
कभी वक़्त के साथ-साथ चलने की कोशिश में,
हम आगे निकल जाते हैं ,कुछ खास पीछे छुट जाता है,
और वक़्त जाने कहाँ किस मोड़ पर रुक जाता हैं .
साथ हो वक़्त अपने, इस ख्वाहिश में,
साथ कभी अपनों का छुट जाता है
आँखों से बोझल हो गये जो ,
क्या फिर कभी वक़्त उनको लौटा पाटा है?
हर क्षण में वक़्त यूँ हीं बीता जाता है
खुद बदलता और हमे बदलता जाता है.
~deeps
शिकायत होती है ये वक़्त से अकसर,
बड़ा तेज भागता हैं,
संग-संग अपने
हमे भी अपने पीछे भगाता है,
एक पल में कभी कितना आगे निकल जाता
थोडा जो ठहर गये हम,बड़ा दूर नजर आता
कभी जैसे वर्ष भी क्षण में बीत जाता
कभी एक क्षण भी गुजरने में वर्षों लगाता
वक़्त से आगे निकलने की कोशिश में,
कभी वक़्त के साथ-साथ चलने की कोशिश में,
हम आगे निकल जाते हैं ,कुछ खास पीछे छुट जाता है,
और वक़्त जाने कहाँ किस मोड़ पर रुक जाता हैं .
साथ हो वक़्त अपने, इस ख्वाहिश में,
साथ कभी अपनों का छुट जाता है
आँखों से बोझल हो गये जो ,
क्या फिर कभी वक़्त उनको लौटा पाटा है?
हर क्षण में वक़्त यूँ हीं बीता जाता है
खुद बदलता और हमे बदलता जाता है.
~deeps
Tuesday, 31 January 2012
Kadam
चले थे हाथ पकड़ ज़िन्दगी का,
हस्ते-मुस्कुराते एक अनजाने सफ़र पर
जाने कहाँ छोड़ हमे गयी ज़िन्दगी,
खड़े रह गये हम उसी मोड़ पर.
अब भी हैं हम उन्हीं अनजान राहों में
वक़्त ठहर -सा गया, मौसम तो कितने बदले
पर एक हीं मौसम तन्हाई का
रह गया हमारी निगाहों में .
सपनो के टुकड़े दूर तक
बिखरे पड़े हैं अब इन राहों में
कदम बढायें भी तो बढायें कैसे,
चुभते हैं मेरे हीं ख्वाब अब काटों जैसे.
शायद इंतज़ार हमे अब भी हैं,
फिर से चलने की कोशिश में हैं ये कदम
कहीं फिर किसी मोड़ पर मिले ज़िन्दगी
और ज़िन्दगी को फिर से अपना कहे हम.
~deeps
Saturday, 28 January 2012
Rishtey
दिल के दर्पण में कभी अचानक
कुछ रिश्ते धुंधलें नजर आते हैं ,
कदम भी उनकी ओर बढ़ाये तो,
फासलें और भी बढ़ जाते हैं,
मोतियों की तरह टूट के जब रिश्ते
फर्श पर बिखर जाते हैं,
कुछ कह कर भी हम कुछ कह नही पाते .
और सपनो के कागज़ कोरे हीं रह जाते हैं.
किसी की कमी आँखों की नमी बन छलक जाते हैं,
बूँदें गिरे जो ज़मीन पर ,भींगता हैं ये मन
यादों के सायों में और भी घिर जाते हैं.
पास आकर जब यूँ लोग दूर चले जाते हैं .
~deeps
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