Wednesday 12 October 2011

Aaj..

आज........

खिलखिलाती धुप की गर्मी,
को महसूस मैंने कई बार किया ,
काले बादल जो छा रहे हैं ,
आज उनकी बारिश में भींग जाने दो.

कई  दिनों से जो पड़े थे  शांत -से,
आँखों के आशियाने को छोड़,
अब बाहर आने की जिद्द कर रहे,
आज उन अश्कों  को बह हीं जाने दो ..

लोगो के साथ तो बहुत रही ,
बहुत उनकी सुनी, 
कुछ अपनी भी कही ,
आज जरा खोमोशी को भी अपनी सुनाने दो 

कई दिनों से जो एक टीस-सी,
नजरंदाज़ करती आई अबतक जिन्हें  ,
काटों की तरह इस दिल में चुभ रही है,
आज उस दर्द में को  फिर हमे तड़पाने दो.                     

अतीत के साये ,चाहे-अनचाहे 
जिनसे भागती रही हूँ,वो 
कुछ यादें ,गुज़रे पलों की 
आज फिर उन्हीं  यादों में खो जाने दो.

एहसास जो आवाज़ न बन पाए,
कुछ अनकहे बोल,
कई दिनों से जो मचल रहे है ,
आज उनको शब्दों में ढल जाने दो.


Source:Google Images

~deeps

2 comments: