अमावस
आज न खुशियों की धुप हीं खिली,
न आँगन में हमारे,
प्यार की बरसात हीं हो पायी.
तारों से सजा है आसमान,
पर चाँद की चांदिनी
न बिखर पायी,
अमावास की रात काली,
जीवन में भी अँधेरा ले आई.
दीये तो जला लिए,
पर रौशन ये रात
जीवन में भी अँधेरा ले आई.
दीये तो जला लिए,
पर रौशन ये रात
फिर भी न हो पायी,
किसी के इंतज़ार में ,
फिर ये आँखे सो न पायी .
छोटी -सी एक मुलाकात तो हुई,
पर दिल से दिल की,
फिर भी बात न हो पायी,
सजा लिया अपने घर को ,
दिल का सूनापन न हटा पायी.
बेसब्र दिल से बेखबर,
वो रहे,और इधर,
मुस्कुराने की चाह में,
आँखे जाने क्यों छलक आयीं .
अधूरे रह गये फिर हम,
अधूरी बाते आज भी ,
फिर पूरी न हो पायीं.
Source: Google Images
~deeps
bahut achi poem hai :) keep it up dear
ReplyDeletethnx @geet
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