Wednesday, 26 October 2011

Amaawas

अमावस

आज न खुशियों की धुप हीं खिली,
न आँगन में हमारे,
प्यार की बरसात हीं हो पायी.
तारों  से सजा है आसमान,
पर चाँद की चांदिनी
न बिखर पायी,
अमावास की रात काली,
जीवन में भी अँधेरा ले आई.


दीये तो जला लिए,
पर रौशन ये रात 
फिर भी न हो पायी,
किसी के इंतज़ार में ,
फिर ये आँखे सो न पायी .
छोटी -सी एक मुलाकात तो हुई,
पर दिल से दिल की,
फिर भी बात न हो पायी,
सजा लिया अपने  घर को ,
दिल का सूनापन न हटा पायी.

बेसब्र दिल से बेखबर,
वो रहे,और इधर,
मुस्कुराने की चाह में,
आँखे जाने क्यों छलक आयीं .
अधूरे रह गये फिर हम,
अधूरी बाते आज भी ,
फिर  पूरी न हो पायीं.

Source: Google Images


~deeps











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