Tuesday, 27 September 2011

Kabhi yun chup na rhna..


Source:Google Images


कभी यूँ  चुप न रहना  

जाने क्यों बीती बातों पे दिल ये रोता है?
टूटे हुए सपनो को फिर से दिल संजोता है.
जानती हूँ  कभी मुझसे भी गलतियाँ होती हैं ,
पर उनपे  खुद मेरी आँखें भी रोती हैं ,
फिर क्यों तू मेरा होकर भी तू ,
हर बार ,मुझसे ही रूठ जाता है,
खुद से मुझको क्यों फिर तू,
जुदा कर, यूँ तन्हा कर जाता है.

तेरी हसी में हीं हर  बार मैंने ,
अपनी ख़ुशी को पाया है, 
कभी सिर्फ तेरे लिए
अपने  दर्द को हमने,                                                   
मुस्कुराहटो में छुपाया है.
जब कभी हमारी  ,
दूरियों के एहसास  ने ,
हमे तड़पाया है,
तेरी एक आवाज़ ने ही  तो
एक पल में ही ,सारे
 फासलों को मिटाया है 

अनजाने में जो कभी ,
मैंने तुझे दर्द दिया है,
उस दर्द के प्यालों  से ,
 हमने भी तो कुछ घूँट पिया है,
तेरे साथ बिताये कुछ लम्हों में ही तो ,
हमने अपनी हर खुशियों को जिया है.
कभी पुरे दिन तेरी यादों में हम मुस्कुराए,
कई रातो को आसुओं भरे करवटों में गुज़ार दिया है ,                                     

तेरा पूरा हक़ है हमपे,
तू मुझपे  नाराज भी हो,
गलतियों की मुझे सजा भी दो ,
पर  नाराजगी को  भी  तुम ,
जुबान से ही बयाँ करना,
मुझसे खफा होकर भी ,
फिर कभी यूँ  चुप न रहना  ,
कभी इतना इंतज़ार  न करवाना,
रूठने का सिलसिला इतना न बढे,
क़ि तेरे पास आने से पहले ,
हमारी जिंदगी  रूठकर,
हमसे, हमारा साथ छोड़ दे.

~deeps


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