Saturday, 10 September 2011

Intezaar..........

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प्यार  हैं  तुम्हारा, फिर भी एक सूनापन है. 
पाकर भी  तुम्हे , न पाने  का गम  है.
तुम्हे  देखेंगी कभी  तो  ये आँखें, 
इसी इंतज़ार में जाने कब  से  हम हैं.

जुदाई का अश्क हर पल पी रही हूँ ,
तेरी यादो  के सहारे ही जी रही हूँ.
तेरी एक  झलक पाने को दिल बेकरार है,
पर जाने कितना लम्बा ये इंतज़ार है.

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