Saturday, 24 December 2011

Santa

Santa


From among the smoke and fog,
suddenly a figure emerged,
dressed in red and white clothes,
with a red cap and a long beard.


His eyes were dazzled,
his mind puzzled.
Is really Santa standing before him?
at once  something broke his dream.


He rubbed his eyes ,
looked here and there,
but Santa was nowhere.
yet another dream,he was quick to realize


Few drops  of water from among the leaves,
that trickled down on his cheeks,
brought him back from land of dreams
made him feel "life is harder than it seems",


He had to hunt for a new job,
for last night  was not as he thought,
he was scolded for being late,
and was then thrown out
but he never bowed down to his fate.


His dream made him happy today,
Thought something special is coming his way
even the land of snow was looking bright,
he finally got a work ,to his delight.


He had to stand all day long,
from dusk to dawn,
to greet everyone ,give them gifts,
and sing the Christmas song .


Dressed like the man in his dreams,
he was much delighted,
for never he had thought,
what to him life had brought.


Whole day he made people smile,
He couldn't rest for a while,
though he was in much pain
for last night he had slept in open again.


He was happy with what he got in the end,
sweets, money enough to celebrate the year end
When he was about to go ,
a small child came, stretching his hand


He paused and for a moment he thought,
not to give him what he had got,
but then he shared whatever he had.
For sharing and loving is what his mother taught .


Today he was fully satisfied,
He learned what is celebration all about.
Christmas is for spreading love he realized.
He was now happier than he had thought.


~deeps

Friday, 23 December 2011

Fear

Fear 

Its always there,inside you,
creates hindrance in whatever you do.
sitting quietly,but always ready to attack
by its sudden moves, you will be taken aback,

Just before the moments of success,
It will take over your mind,make it restless
It weakens your will,makes you clueless,
What is happening , even you wont be able to guess. 

It makes you suffer ,go through the pain
makes you feel all your efforts are in vain.
It will never let you be at ease,
makes your goal look farther than it is.

what and whom you hold so dear,
What if they are not near,
In our mind it raises such doubts,
It always plays with our thoughts.

Few words of encouragement and praise,
Weaken it, it may subside down,
but don't think it has gone .
It can be back in just few days.

In your heart, never let it grow,
or slowly it will make you hollow.
Soon it will be a giant.
Fear will rule you like a tyrant.


~deeps




Thursday, 22 December 2011

Eyes

When in extreme pleasure or pain,
When emotions are copious,
The lips wont express,they may seal
For words then become superfluous,
Don't be presumptuous,
Look into the deep eyes,
For they would never conceal,
Without words they would reveal,
What in depth of heart lies,
Going through intense agony 
or  riding the pleasure wheel.
Love ,hate,anger,despair
trust,lust or care
Read them carefully ,
They reflect what the heart feels.



Source: Google Images




~deeps

Monday, 12 December 2011

आशियाना दिल का

 हमारे लिए जगह नहीं जिनके आशियाने में,
उनके लिए दिल में हमने प्यार-भरा आशियाना  बनाया ,
हसीन यादों का उसमे एक कमरा बनाया ,
बीतती है हर शाम उसी कमरे में,
जो मिलते नहीं कभी ,मिल लेती हूँ उन्हें सपने में 

उस आँगन में रोज़ सुनहरी धुप खिलती है,
शामे रंगीन सपनो से सजती हैं,
बड़ा खुबसूरत है दिल का आशियाना हमारा
जिसकी हर रात प्यार में ढलती हैं 

उन्हें अभी हमारे प्यार की कदर नहीं ,
और इस बात का भी हो रहा हमपर असर  नहीं ,
हम तो अपने हसीं ख्वाबों से उस आशियाने को सजा रहे हैं ,
जो आयेंगे नही उनके इंतज़ार में रात-दिन पलके बिछा रहे हैं .

Source: google images


 ~deeps

Sunday, 11 December 2011

प्यार-1

प्यार-1 

रेत का घर बनाया समंदर किनारे,
लहरों से उसे उजरना था हीं .
शीशे-सा दिल हमारा और इश्क हुआ पत्थर से ,
टूट कर बिखरना तो था हीं .
काटों का दामन जो थामा था हमने,
सीने में उन्हें चुभना था हीं .
बुलबुलों-से नाजुक ख्वाब थे हमारे,
पल भर में ख़त्म तो  होना था हीं.

ज़िंदगी जो रौशन हुई थी तेरे प्यार से ,
जुदाई के हवाओं से उसे बुझना था हीं .
जोड़ा था नाता उनसे जो रस्मों की जंजीरों से बंधे हैं,
प्यार की बंदिशों को तो टूटना था हीं .
यादें बचीं है जो तेरे प्यार की,
उनमे खोये रहते हैं हम कहीं .
एक शाम भी यूँ तड़प कर गुजारना है मुश्किल .
जाने कैसे कटेगी तनहाइयों में ये ज़िन्दगी.

~deeps

Saturday, 10 December 2011

अंदाज़-ए-इश्क

अंदाज़-ए-इश्क 

दिल में चुपके से बस जाता है,
आँखों से छुपकर झाँकता है वो,
अंदाज़-ए-इश्क कुछ ऐसा हीं  होता है.
बस जुबाँ पर आने से कतराता है.

कभी दिल में शोर मचाता है,
कभी उसे हीं विरान कर जाता है,
अंदाज़-ए-इश्क कुछ ऐसा हीं  होता है.
खुद मचलता है ,दुसरे पल में संभलता है.

धीरे-धीरे दबे पाँव  आता है,
संग ख्ह्वाहिशों का कारवां लाता है,
अंदाज़-ए-इश्क कुछ ऐसा हीं  होता है.
हर पल नए ख्वाबों को संजोता है.

जिसे अपना आशियाना बनाता है,
उस दिल के कभी टुकड़े कर जाता है,
अंदाज़-ए-इश्क कुछ ऐसा हीं होता है.
दर्द दे या ख़ुशी, लब्ज़ों में न वो बयाँ होता है.


 .~deeps

Friday, 9 December 2011

Humsafar

हम  किस दर्द में जीं रहें ,हमदर्द को खबर नहीं  ,
हमारे आंसुओं का भी होता अब उनपे असर नहीं .
राह उनकी देखती हैं अब भी ये आँखें,
हम राह में हैं अकेले, हमराह संग राह में नहीं.

दो कदम भी जो हमारे साथ नहीं चल सकते .
उन्हीं के यादों में हम हैं हर पल जलते,
हैं इस दिल को शायद अब भी कोई आस,
जो दूर गये हैं हमसे, कभी तो आयेंगे पास.

शायद उन्हें हमारे प्यार की कदर नहीं,
या कहीं हम में ही सब्र नहीं,
इस दिल को तो  अभी नहीं होता ये यकीं,
हमसफ़र सफ़र में यूँ छोड़ चल देंगे कहीं .

Source: Google images

















Wednesday, 7 December 2011

Can that stop me from loving you?

I  know you wont be mine,  
Its only in my dreams ,that 
with you I can dine
 Should that stop me from thinking about you?
Can that stop me from dreaming about you?

I know you are not near ,
not today ,nor in days to come,
to stand beside me when in fear ,
or to wipe my tear,
Should that stop my eyes from closing for you in prayer?
Can that stop me from loving you?

I know you wont be there,
to listen to my foolish talk,
even my cry you wont hear
but your memories ,still I hold so dear.
Should that stop my ears wishing to hear your voice,
But do have I another choice?

Distance may keep us apart,
but from my memories,my thoughts , 
you'll never depart,
You are and will  always be ,
a nondetachable part, 
of my soul.,be in my heart.
Nothing can stop me from loving you.

Source :Google Images

~deeps

Wednesday, 16 November 2011

तू हीं तू

 तू हीं  तू

शीशे में भी अक्स तेरा हीं  दीखता है,
मेरे  ज़हन में बस  तू हीं तू है,
मेरे रूह में भी तू बसता है ,
बस अब तेरी ही आरज़ू है,


हर लम्हा जिक्र है तेरा ,
हर अलफ़ाज़ में तू हीं तू है,
इस कदर असर है तेरे इश्क का,
मेरे हर ज़ज्बात में बस तू हीं तू है.


जागती आँखों में भी तू है ,
सपनो की रातों में भी बस तू है 
ख्वाबों का सिलसिला भी तुझसे हीं शुरू होता है ,
इन साँसों की आखिरी ख्वाहिश भी बस तू है .


तुझसे ये बयां न कर सकूं ,
कहूँ तो भी कैसे कहूँ ,
क्यों है फ़ासले दरमियाँ ,
तेरे बिन अब जियूँ तो कैसे जियू


Source: Google images
~deeps

Friday, 11 November 2011

नन्हे सपने

नन्हे  सपने .  

सूरज भी जाग चूका था,
बादलों के पीछे से,
चुपके से झांक रहा था ,
किरणे उसकी अब फ़ैल रही थी,
और वो तो  अभी अपने
सपनो के गलियों में
धीरे-धीरे चल रही थी,
ये  दुनिया उसकी अपनी थी ,
यहीं अभी भी वो कही खोयी थी,
उसे याद भी नही रात,
फिर  कितना वो रोयी थी.


अचानक  हुआ कहीं  घंटी  का लम्बा शोर,
आँखे मीचे उठी वो, सपनो की दुनिया पीछे छोड़,
दिखाई दिए कुछ उसके जैसे ही नन्हे-से कदम,
कंधे पे बैग लिए ,दौड़ रहे अपने स्कूल की ओर,
याद आया ,उसे भी तो था कहीं  जाना,
नजर दौड़ाई आस-पास , कुछ ढूंड रही थी वो,
उसे एक बड़ा- सा प्लास्टिक का थैला मिल गया .
उसे ले कर उसका चेहरा थोडा खिल गया,
Courtesy: Google images
रोज़ की  तरह जाना था उसे भी, पर स्कूल नहीं ,
उससे थोड़े दूर  कचरों के अम्बार की ओर.

स्कूल तो  बस दूर से ही देखती थी ,
किताबो के बारे में बस सोचती थी,
आज  भी सपने में वही तो थी ,
इसलिए  इस दुनिया से ज्यादा,
सपने ही उसे अच्छे लगते थे,
सच नही पर सच्चे लगते थे.
थैला  उठाये चली वो ,
धीरे धीरे स्कूल के आगे बढ़ी वो,.


आज कुछ नया-नया सा था सब ,
देख के अजीब लगा उसे,
आज वहां से कचरों का ढेर था गायब,
सब साफ़-साफ़ था , जाने हुआ ये कब .
तभी बगल से एक शोर हुआ,
" आज शिक्षा दिवस है,
मिनिस्टर साहब  आ रहे है , हटो सब"
एक हाथ ने उसे वहां से हटाया,
उसकी समझ में कुछ भी न आया.


एक कोने में खड़ी  होकर वो देखती रही ,
बहुत-सी गाड़िया आकर खड़ी हो गयी,
कुछ सफ़ेद कपड़ों में गाड़ियों से निकले ,
लोगो ने उनके गले में मालाये डाली,
ओर जोर से सबने बजायी  ताली ,
ओर सब स्कूल के अन्दर चले गये.
पर उसके कदम अभी भी वही ठहर गये ,
कुछ लोग गाड़ियों से कुछ सामान निकाल रहे थे,
किताबों का ढेर, शायद स्कूल में बाटने के लिए,
चुप -चाप  उन्हें  वो प्यारी  सी-आँखे निहार रही थी ,
ओर जाने क्यों अचानक  ख़ुशी से चमक रही थी .

सबके जाने के बाद ,धीरे से वो वहां गयी.
लगा उसे जैसे अपने सपनो के पास आ गयी,
एक पुस्तक वही गिरी पड़ी थी,
उसे देख उसके अन्दर खुशी की लहर दौड़ रही थी,
उसे उठाकर प्यार से खोलकर देखा,
बड़े सुन्दर चित्र ओर अंकित थे कुछ काले अक्षर ,
झूम उठी वो , आज पैर नही थे उसके जमीन पर,
उड़ने लगी वो ,लगा के फिर ख्वाबो के पर.

पर तभी वहां से तेज़ रफ़्तार में एक गाडी निकली,
ओर निकली एक चीख ,
छुटा  हाथ से किताब ,दूर गिरा वो ज़मीन पर,
ओर फिर गिरी वो भी , कट गये उसके सपनो के पर,
एक ओर गाडी ने कुचल दिया उसके सपनो को,
वो उठी , दौड़ी लेने उस किताब को, पर
टुकड़े हो गये थे उसके, सब गया था मिटटी में मिल
वीरान हो गयी फिर वो आँखे,नन्हे सपने हो गये धूमिल.

~deeps

Thursday, 10 November 2011

ufffff...Ye Pyaar

उफ़ ..!ये प्यार 

ये प्यार का सिलसिला भी अजीब होता  है,
दूर होकर  भी कोई दिल के करीब होता है .
किसी के इंतज़ार में उल्लू की तरह जागती हैं आँखें ,
जब सारा ज़माना चैन की नींद सोता है.

अपनी धडकनों पर हीं अपना बस नहीं  होता ,
 किसी और के लिए हर पल बेचैन होता है
एक सवाल का तो जवाब नही मिलता और,
हज़ारो सवाल खुद खड़े कर  दिल परेशां होता है .

दूरियों में भी नजिदिकियों का एहसास होता है,
न जाने कोई क्यों इतना खास होता है,
इस मोहब्बत  के रास्ते में जनाब,
दर्द का आलम बेहिसाब होता है,

तन्हा न होकर भी तन्हा होते हैं ,
ज़िन्दगी यूँ उलझी रहती हैं ,
खुद की कोई खबर ही नहीं रहती ,
जाने किन खयालो में हर वक़्त खोए होते  हैं ,

मिलता है वही जो नसीब में होता है,
जान के दिल इससे अंजान होता है,
बेवजह आंसू बहाकर, किसी के दर्द में रोता है,
उफ़ ..!ये प्यार का सिलसिला भी अजीब होता है.

Source:Google images
  
~deeps



Wednesday, 9 November 2011

Death

Death


The waves that rise, would come down,
The great Eagle that was flying high,
Now wriggles in pain ,on the ground.
The end of all is sure to come.

Nothing is here forever.
even the mightiest king ,
may turn into a beggar.
Death will engulf all sooner or later.

Death ,I accept you are great,
But no one in the world ,for you waits.
They know what lies in their fate,
but still ,they die each day in fear of death.

Why you create such a fear,
In minds of people each day?
Thinking you are near.
scared to live life to fullest
 in their own way .

One day you will loose,you wont be a threat
when a valiant  heart you will meet,
It  wont fear you ,shall cheerfully greet
Then I 'll say death you are not  great.

~deeps



Monday, 7 November 2011

Cascade

Cascade

Why is that I care for you,
a special bond between me and you,
From childhood to present ,
Day by day together we grew.

When I was small I didn't care,
 I messed Up with my curly hair,
Oiling and nourishing  it ,
was all my mother's affair.

As I grew up, I realized.
In you my beauty lies.
To your needs ,I was unaware
 You do need special care.

You are my part,
Through you I express,
Moments of happiness,
or when I am in stress.

At times a gentle tuck of Hair,
to show someone that I care.
when there are emotions to show,
I unlock them , let them flow.

It  falls down like a cascade,
without a single word being said,
All my feelings are conveyed.
When naughty , with those curls I played.

Love is a two way street ,
With love and care ,shall you I treat .
So that my hair loves me back,
I 'll nourish it to grow it more long and black.

Source: Google images

~deeps

P.S:  Written for the Dove Blogger contest :"Love is a two way street, love your hair , and it will love you back."

Monday, 31 October 2011

Speechless

Speechless


Source:Google Images

It felt like a long painful wait,
Finally the day came,though very late.
A tough fight between me and my fate.
It was almost six months ,that we met.

So many nights were sleepless,
Without you , I was so restless.
Though I was living, but as if lifeless.
Everything looked to me meaningless.

We used to talk a lot .
Even when we were far apart,
But when my eyes met yours,
I was unable word my thought.

Speechless I was,Silence made its way ,
Only did the hearts commune.
felt like a river shimmering ,
by the silver light of moon.

I was lost in your eye's radiance,
brightening up in love's ambiance.
Your kiss, your gentle stare.
filled me with sheer happiness.
loved the way you showed care.

I loved the warmth of your touch
Not in words I could ever.
explain to you ,or show you
That I love you so much.

My love for you is sincere and pure,
It is eternal ,all the tests it will endure.
Like a pearl in lying in a shell.
deep in my heart you dwell.

~deeps


Wednesday, 26 October 2011

Amaawas

अमावस

आज न खुशियों की धुप हीं खिली,
न आँगन में हमारे,
प्यार की बरसात हीं हो पायी.
तारों  से सजा है आसमान,
पर चाँद की चांदिनी
न बिखर पायी,
अमावास की रात काली,
जीवन में भी अँधेरा ले आई.


दीये तो जला लिए,
पर रौशन ये रात 
फिर भी न हो पायी,
किसी के इंतज़ार में ,
फिर ये आँखे सो न पायी .
छोटी -सी एक मुलाकात तो हुई,
पर दिल से दिल की,
फिर भी बात न हो पायी,
सजा लिया अपने  घर को ,
दिल का सूनापन न हटा पायी.

बेसब्र दिल से बेखबर,
वो रहे,और इधर,
मुस्कुराने की चाह में,
आँखे जाने क्यों छलक आयीं .
अधूरे रह गये फिर हम,
अधूरी बाते आज भी ,
फिर  पूरी न हो पायीं.

Source: Google Images


~deeps











Monday, 24 October 2011

Saturday, 22 October 2011

Winter morning.

Winter morning.

On a hazy winter morning,
like the sun rays,
silently making their way,
piercing  the cottony clouds,
Falling upon the morning dew,
bathing all in golden hue.

On a cold winter day,
somewhere far away ,
In the land of valley and hills 
climbing down ,steady and  slow
like the clouds,
embracing the mountains,
wrapped in sheet of white snow.

On such a calm winter morning,
trying to open my eyes,
rubbing them for clear  view.
Silently some memories,
make their way ,
bringing with them ,
moments spent with you,
brightening me up.
making my day.

Source: Google images

~deeps




Sunday, 16 October 2011

Food

Food

Small dark eyes,
looking from a distance,
at the the grand entrance,
of the great hall,which was
bathed in different lights.

Many well-dressed men ,
greeting each other,
he felt a little awkward , 
he was in rags,but soon he 
he saw something , 
that made him feel better.

His eyes brightened up
gazing upon delicious food,
 It was quite a long time ,
That on his face ,
there was a smile.
Today is his day , 
for a moment he thought .
he took a step ahead ,
but then he paused.

Looked here and there,
He was a little scared
what if anybody notices him here,
crouching on his knees,
he crawled in quietly.
As his hunger  overtook his fear.

He entered ,soon he was admist,
Affluent  men having delicious food ,
Some taking in more than they could.
He went to a corner where dishes were kept.
He was happy ,thought this day was his best.

Some how he managed to get something ,
and was about to take a bite ,
he felt a hand hold his back.
his face turned white.

Soon , there was a crowd ,
all shouting out loud,
"who let this jerk in?
throw him out"

He pleaded in front of them ,
urged them all ,
but nobody cared,and 
listened to his call.
They slapped him , 
they were very brutal.

He was thrown outside
on the ground he sobbed.
but after few minutes,
he stood up and wiped  his eyes.

He accepted his fate ,
for morning he needed to wait.
When these men would dump ,
What for them would be  waste,
At least he would get ,a little
 of those delicious food to taste.


Source :Google images


~deeps


P.s :  Written For "Blog action day 2011 :"food"




Saturday, 15 October 2011

My dear bro.

My dear bro.....

We are not born to same mother,
though not related by blood,
A relationship sweeter any other
He is my dear  little brother.

Two years back ,
he was a stranger,
but now we  both share ,
A very special bond,
 of affection and care.

We have shared  pain and smile,
We do fight with each other,         
 Even that made the bond stronger,
Moments I'll cherish forever.

He says ,at times I'm stress for him,
Other times a stress buster,
But whenever I was down and  cried,
He turned my tears into laughter.

I want this relationship to last forever,
Love and care to grow deeper and deeper.
I want to make a small wish ,
May his life be always a bliss.
He is my dear bro "krish"


~deeps

P.s: Dedicated to my sweet brother and a great friend "krish " ."Happy Birthday "



Thursday, 13 October 2011

A tiny seed

A tiny seed..

My life seemed to be an inexplicable question,
To move ahead,  I needed a source of inspiration.
In search of a solution,I wandered here and there ,
Wished I could find an answer somewhere.


Lying on the grass ,in a deep thinking.
Suddenly I noticed a tiny thing.
That was the answer to all my need,
It was nothing but just a tiny seed.

A tiny seed,which was slightly brown,
At first it looked me dormant .
Same as my life ,As if nothing is going on 
No motion , life was stagnant.

When closely observed ,I found.
 That I was completely wrong .
There was a lot going inside ,
It was taking in water from outside.

Slowly ,it managed to break its coat,
Soon a small white root came out ,
which went down in the ground.
Now It was beginning to sprout.

Same thing I needed to do in my life,
Come out from the prison of my thoughts,
Imbibing  all the good from outside,
A small push from within ,to break the doubts.

Looking up at sky ,grow day by day,
But feet should be firmly on ground.
That is what the tiny seed showed me ,
To struggle ,never give-up ,and pave my own way.

Source:Google Images

~deeps


Wednesday, 12 October 2011

Aaj..

आज........

खिलखिलाती धुप की गर्मी,
को महसूस मैंने कई बार किया ,
काले बादल जो छा रहे हैं ,
आज उनकी बारिश में भींग जाने दो.

कई  दिनों से जो पड़े थे  शांत -से,
आँखों के आशियाने को छोड़,
अब बाहर आने की जिद्द कर रहे,
आज उन अश्कों  को बह हीं जाने दो ..

लोगो के साथ तो बहुत रही ,
बहुत उनकी सुनी, 
कुछ अपनी भी कही ,
आज जरा खोमोशी को भी अपनी सुनाने दो 

कई दिनों से जो एक टीस-सी,
नजरंदाज़ करती आई अबतक जिन्हें  ,
काटों की तरह इस दिल में चुभ रही है,
आज उस दर्द में को  फिर हमे तड़पाने दो.                     

अतीत के साये ,चाहे-अनचाहे 
जिनसे भागती रही हूँ,वो 
कुछ यादें ,गुज़रे पलों की 
आज फिर उन्हीं  यादों में खो जाने दो.

एहसास जो आवाज़ न बन पाए,
कुछ अनकहे बोल,
कई दिनों से जो मचल रहे है ,
आज उनको शब्दों में ढल जाने दो.


Source:Google Images

~deeps

Saturday, 8 October 2011

Jaane Kyu.......

जाने क्यों  ......

कभी तन्हाई में,
जब हो चारो ओर हो सन्नाटा,
ख़ामोशी की चादर ओढ़े हो हर दिशा,
जाने क्यों फिर भी दिल में इतना शोर होता है.

ज़िन्दगी की राह से,
जो चुने थे कुछ सुनहरे लम्हों के मोती ,
पिरोकर जिन्हें यादो की खुबसूरत माला थी बनायीं,
जाने क्यों उन्हें ही याद करके, दिल में इतना दर्द होता है.

रंगीन तितलियों की तरह ,
जो हसीं सपने थे आँखों में सजाये,
जिनके पीछे भाग-भाग के कितनी  शामें  बिताई,
जाने क्यों उनके पुरे होने पर भी ये आँखे भर आयीं .

कभी लोगों के चहेरे को ,
प्यारी-सी हसीं से सजाने के  के लिए ,
खुद होठो पर मुस्कान लिए,कितनी नादानियाँ ये दिल करता है,
जाने क्यों फिर ये दिल सबसे से छुप कर ,अकेले में रोया करता  है.

कितने ही हैं आस-पास ,
फिर भी क्यों होता है कभी अकेलेपन का एहसास,
रिश्तों की भीड़ में  भी क्यों एक डर- सा रहता है,
जाने क्यों फिर ये दिल  हर पल किसी अपने को ढूंढ़ता है .

वक़्त हर पल बदलता है ,
और इसके साथ कुछ लोग , कुछ रिश्ते भी बदल जाते हैं,
 जानता है दिल ,मिलने के बाद कभी बिछुड़ना भी पड़ता है ,
जाने क्यों फिर भी किसी की जुदाई से ,इतना  दिल ये तड़पता है.

क्यों भागी ऐसे सपनो  के पीछे 
कि छोटी-छोटी खुशियों को भी जी  न पायी 
जाने क्यों  कभी इन सवालों के जवाब मैं नहीं  ढूंड पायी .

~deeps



Monday, 3 October 2011

Parva

पर्व

चकाचौंध , रंग-बिरंगी रौशनियों से,
पट गयी सड़के, सज गए भव्य पंडाल ,
उनके आगे लगी लम्बी-सी कतार,
दौड़ती-भागती भीड़ , लेकर,
अपने असंख्य , अपूर्ण ,
हर पल  में बढती  जाती ,
कामनाओं  का अम्बार .

टेकने माथा माँ के दरबार ,
फूल, फल ,मिस्ठान.
का लेकर चढ़ावा,
जीवन  से  असंतुष्ट ,
और धन पाने को इच्छुक ,
चले हैं  देवी को करने संतुष्ट .

 इस उम्मीद में  कि.
माँ  करेंगी उनका उद्धार,
बरसे देवी की कृपा अपार,
कर रहे है ,मंत्रोच्चार ,
अपराधबोध नहीं  ,
सुप्त-आत्माएं ,पर  
झुका रहे  हैं अपना शरीर,
माँ  के चरणों  में  बार -बार.

दान करने की भी ,
होड़-सी लग गयी हैं,
कोई  सौ,कोई हज़ार,
ज्यादा दान , ज्यादा कृपा ,
जैसे हो कोई व्यापार,
दान के असली अर्थ से ,
नहीं है कोई सरोकार .

कुछ  हीं दिनों में देवी,
की मूर्ति  का होगा विसर्जन,
ये आडम्बर होगा खत्म ,
अपनी अन्दर की श्रध्दा ,भक्ति
को तो , बहुत पहले हीं, 
कर चुके हैं विसर्जित ,
शून्य  की ओर बढ़ता जीवन ,
फैला हुआ है, हर तरफ, लोभ,
काम ,वासना , का अन्धकार.

एक पर्व खत्म होगा ,
तो फिर शुरू होगा दूसरा, 
निराकार शक्ति , को ,
फिर से लुभाने को ,
उसे आकर दे, मूर्ति ,
बनाकर , फिर होगी ,
उसकी  अराधना .
अपनी जीवन -साधना ,
में जो हो चुके  असफल.
करेंगे  शक्ति  की साधना. 

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~deeps